Shark Tank India-4:नमिता भड़कीं-'ये एक्सप्लॉयटेशन है', अनुपम बोले-'तू फ्री में इक्विटी देगा तो भी नहीं लूंगा'
Shark Tank India-4: शार्क टैंक इंडिया के चौथे सीजन में एक ऐसा स्टार्टअप आया, जिसने सजावटी लैंपों को एक अलग ही पहचान दे दी है. इस स्टार्टअप का नाम है रोशा (Ro:Sha), जिसकी शुरुआत 2019 में दिल्ली के रहने वाले कंवरदीप सिंह, गौरव टिकिया और शिवम दीवान ने की थी.
Shark Tank India-4: शार्क टैंक इंडिया के चौथे सीजन में एक ऐसा स्टार्टअप आया, जिसने सजावटी लैंपों को एक अलग ही पहचान दे दी है. इस स्टार्टअप का नाम है रोशा (Ro:Sha), जिसकी शुरुआत 2019 में दिल्ली के रहने वाले कंवरदीप सिंह, गौरव टिकिया और शिवम दीवान ने की थी. इस स्टार्टअप का दावा है कि उसने भारत का पहला पोर्टेबल रिचार्जेबल लैंप बनाया है.
स्टार्टअप फाउंडर्स के अनुसार इन लैंप्स को सिर्फ 3-4 घंटे रिचार्ज करना होता है और फिर वह 8-10 घंटे तक जलते रह सकते हैं. अभी तक यह स्टार्टअप 100 से भी ज्यादा डिजाइन बना चुका है और अब सोलर लैंप भी बनाने लगा है. इस स्टार्टअप के लैंप अभी 5000 से भी ज्यादा रेस्टोरेंट और लाउंज में मौजूद हैं. इतना ही नहीं, यह लैंप अभी तक 15 हजार से भी अधिक घरों तक पहुंच चुके हैं.
बचपन के दोस्त हैं को-फाउंडर्स
तीनों को-फाउंडर्स 5 साल की उम्र से ही एक दूसरे को जानते हैं. सभी स्कूल के वक्त से दोस्त हैं. एजुकेशन खत्म करने के बाद सभी अपने-अपने फैमिली बिजनेस में लग गए, लेकिन हमेशा से कुछ अपना करना चाहते थे. इसी बीच एक दिन दिल्ली के एक रेस्टोरेंट में उसके मैनेजर से तीनों ने बात की तो कुछ हैरान करने वाली बातें पता चलीं. मैनेजर ने बताया कि हर महीने करीब 30-40 हजार रुपये की तो मोमबत्तियां खर्च हो जाती हैं. वहीं उन्हें संभालने में भी दिक्कत होती है और उनसे निकलने वाला धुआं भी नुकसान देता है.
रेस्टोरेंट में जली दिमाग की बत्ती
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रेस्टोरेंट में तीनों के दिमाग की बत्ती जली और वायरलेसली उन्हें आइडिया आया कि इस तरह के लैंप का बिजनेस शुरू किया जाए. इसके बाद 2019 में तीनों ने मिलकर उसकी शुरुआत कर दी. प्रोडक्ट्स को देखकर सभी शार्क ने उनकी तारीफ भी की. फाउंडर्स ने बताया कि करीब 50 फीसदी प्रोडक्ट भारत में बनते हैं. वहीं आने वाले दिनों में कंपनी इसे बढ़ाकर 80 फीसदी तक ले जाना चाहती है.
अमन के घर में भी है ये लैंप
कंपनी को फोकस है वायरलेस पोर्टेबल लैंप. ऐसे में लैंप का साइज छोटा रखा है. ये सारे लैंप इनहाउस डिजाइन किए जाते हैं. कंपनी का ज्यादातर बिजनेस बी2बी यानी होरेका से आता है. वहीं ग्राहकों को यह प्रोडक्ट कंपनी की वेबसाइट से मिलते हैं. अभी यह स्टार्टअप किसी मार्केटप्लेस पर नहीं है. कंपनी का एवरेज सेलिंग प्राइस 2500 रुपये है. अमन गुप्ता की मां ने गोवा में एक जगह कंपनी के टेबल लैंप देखे और मंगाया. कंपनी के एक को-फाउंडर ने खुद उनके घर जाकर वह लैंप डिलीवर किया. रितिक रोशन को तो यह लैंप इतने पसंद आए हैं कि वह कंपनी से 15-20 लैंप खरीद चुके हैं.
16 करोड़ का टर्नओवर!
2019 में जब कंपनी ने बिजनेस शुरू किया, तो करीब 60 लाख रुपये की कमाई की. वहीं अगले साल रेवेन्यू बढ़कर 1.80 करोड़ रुपये हो गया, जो उसके अगले साल भी इतना ही रहा. वहीं 2022-23 में कंपनी का रेवेन्यू 3 करोड़ रुपये हो गया और 2023-24 में यह बढ़कर 8 करोड़ रुपये हो गया. इस साल कंपनी पहली छमाही में करीब 5 करोड़ रुपये की सेल कर चुकी है और उम्मीद है कि साल खत्म होते-होते रेवेन्यू 16 करोड़ तक पहुंच जाएगा.
बूटस्ट्रैप्ड और प्रॉफिटेबल
इस बिजनेस की शुरुआत महज 75 लाख रुपये (25-25 लाख तीनों ने लगाए) लगाकर की थी. इतना ही नहीं, तीनों अभी हर महीने 2.5-2.5 लाख रुपये की सैलरी भी लेते हैं. इसके बावजूद कंपनी को इस बिजनेस से करीब 15 फीसदी का मुनाफा होता है. यानी यह बिजनेस बूटस्ट्रैप्ड भी है और प्रॉफिटेबल भी.
फाउंडर्स ने मांगी 60 लाख की फंडिंग
फाउंडर्स ने अपनी कंपनी में 1 फीसदी इक्विटी के बदले 60 लाख रुपये की फंडिंग मांगी. इस डील से नमिता और पीयूष आउट हो गए. वहीं रितेश-अनुपम ने साथ मिलकर 60 लाख रुपये देकर 3 फीसदी इक्विटी मांगी और साथ ही 1.5 फीसदी रॉयल्टी मांगी, जब तक निवेश का 1.5 गुना पैसा वसूल ना हो जाए. वहीं अमन गुप्ता ने 60 लाख रुपये देकर 2 फीसदी इक्विटी मांगी और साथ ही 1 फीसदी रॉयल्टी मांगी, जब तक निवेश का 1.5 गुना पैसा वसूल ना हो जाए.
नमिता बोलीं- ये एक्सप्लॉयटेशन है, ये गलत है
इसके बाद रितेश-अनुपम-अमन तीनों ने साथ मिलकर 60 लाख रुपये देकर 10 फीसदी इक्विटी मांगी और 2 फीसदी रॉयल्टी मांगी, अपने पैसे 1.5 गुना रिकवर होने तक. इस पर नमिता ने आउट होने के बावजूद नाराजगी जताई और कहा- ये तो एक्सप्लॉयटेशन है यार... ये गलत है... 16 करोड़ की सेल में आप 6 करोड़ का वैल्युअशन कैसे दे सकते हो? वहीं पीयूष बोले कि आप डील ही नहीं करना चाहते हैं.
अनुपम बोले- फ्री में भी देगा तो नहीं लूंगा इक्विटी
फाउंडर्स ने काउंटर ऑफर देते हुए कहा कि यह सबके लिए है और अमन अकेले भी आ सकते हैं. ये सुनते ही अनुपम ने कहा- 'आप लोगों ने मेरी डिसरेस्पेक्ट की है, मैं आउट हूं, अब तू फ्री में भी दे देगा ना इक्विटी तो मुझे नहीं चाहिए.' आखिरकार अमन-रितेश ने 4 फीसदी इक्विटी के बदले 60 लाख रुपये की फंडिंग दी और साथ ही 1.5 फीसदी रॉयल्टी ली, जब तक 1.5 गुना पैसे रिकवर ना हो जाएं. इस तरह फाउंडर्स ने डील फाइनल कर ली.
02:02 PM IST